लो आ गई हमारी नई कविता चुहिया रानी |
देखो कैसे चुहिया रानी शरारतें करती है घर मैं।
चुहिया रानी चुहिया रानी,
लगाती हो तुम बड़ी सयानी,
जैसे हो इस घर की रानी,
तभी तो करती हो मनमानी,
कुतर कुतर कर सब कुछ खा जाती,
आहट सुन झटसे छुप जाती,
जब भी बिल्ली मौसी आती,
दुम दबा बिल में घुस जाती।
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