स्कूल की छुट्टियां, नानी के घर जाने का उत्साह
मामा- मामी से मिलना ढ़ेर सारा प्यार
दिन भर खेलना, घूमना ख़ेत-ख़लियान
बाग़ों से तोड़के लाना वो आम
याद आता है बहुत वो बचपन आज
जो बसा था कहीं किताबों की दुनिया के बाहर ।
मामा- मामी से मिलना ढ़ेर सारा प्यार
दिन भर खेलना, घूमना ख़ेत-ख़लियान
बाग़ों से तोड़के लाना वो आम
याद आता है बहुत वो बचपन आज
जो बसा था कहीं किताबों की दुनिया के बाहर ।
No comments:
Post a Comment