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आज है नयी Class का पहला दिन चलो स्कूल चलें हम। Every Kid love school, playing in school with friends and learning in class room with teacher. This wonderful rhyme will make your kids enjoy and will encourage little one for learning and education.
एक जंगल में एक खरगोश रहता था। वह बहुत ही डरपोक था। कहीं जरा-सी भी
आवाज सुनाई पड़ती तो वह डरकर भागने लगता। डर के मारे वह हर वक्त अपने कान
खड़े रखता। इसलिए वह कभी सुख से सो नहीं पाता था।
एक दिन खरगोश एक आम के पेड़ के नीचे सो रहा था। तभी पेड़ से एक आम उसके
पास आकर गिरा। आम गिरने की अवाज सुनकर वह हड़बड़ा कर उठा और उछलकर दूर जा
खडा हुआ। "भागो! भागो! आसमान गिर रहा है।" चिल्लाता हुआ सरपट भागने लगा।
रास्ते में उसे एक हिरन मिला। हिरन ने उससे पूछा, "अरे भाई तुम इस तरह
भाग क्यों रहे हो? आखिर मामला क्या है? खरगोश ने कहा, अरे भाग, भाग! जल्दी
भाग! आसमान गिर रहा है। हिरन भी डरपोक था। इसलिए वह भी भयभीत होकर उसके साथ
भागने लगा। भागते-भागते दोनो जोर-जोर से चिल्ला रहे थे, "भागो! भागो!
आसमान गिर रहा है।श"
उनकी देखादेखी डर के मारे जिराफ, भेडि़या, लोमडी, गीदड़, तथा अन्य
जानवरों का झुंड भी उनके साथ भागने लगा। सभी भागते-भागते एक साथ चिल्लाते
जा रहे थे, भागो! भागो! आसमान गिर रहा है। उस समय सिंह अपनी गुफा में सो
रहा था। जानवरो का शोर सुनकर वह हडबड़ाकर जाग उठा। गुफा से बाहर आया, तो
उसे बहुत क्रोध आया। उसने दहाड़ते हुए कहा, रूको! रूको! आखिर क्या बात है?
सिंह के डर से सभी जानवर रूक गए। सबने एक स्वर मे कहा, "आसमान नीचे गिर रहा है।"
यह सुनकर सिंह को बड़ी हँसी आई। हँसते-हँसते उसकी आँखो में आँसू आ गए।
उसने अपनी हँसी रोककर कहा, "आसमान को गिरते हुए किसने देखा है?" सब
एक-दूसरे का मुँह ताकने लगे। अंत में सभी की निगाह खरगोश की ओर मुड़ गई तभी
उसके मुँह से निकला, "आसमान का एक टुकड़ा तो उस आम के पेड़ के नीचे ही
गिरा है।"
"अच्छा चलो, हम वहाँ चलकर देखते हैं।" सिंह ने कहा।
सिंह के साथ जानवरों की पूरी पलटन आम के पेड़ के पास पहुँची सबने
इधर-उधर तलाश की। किसी को आसमान का कोई टुकड़ा कहीं नजर नही आया। हाँ, एक
आम जरूर उन्हे जमीन पर गिरा हुआ दिखाई दिया।
सिंह ने आम की ओर इशारा करते हुए खरगोश से पूछा, "यही है, आसमान का टुकड़ा, जिसके लिए तुमने सबको भयभीत कर दिया?"
अब खरगोश को अपनी भूल समझ में आई। उसका सिर शर्म से झुक गया। वह डर के मारे थर-थर काँपने लगा।
दूसरे जानवर भी इस घटना से बहुत शार्मिंदा हुए। वे अपनी गलती पर पछता रहे थे कि सुनी-सुनाई बात से डरकर वे बेकार ही भाग रहे थे।
शिक्षा - सुनी-सुनाई बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
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Do you know about the 5 senses of the human body? Our Senses allow us to observe and understand the world around us. Let's learn these 5 Senses (sight, smell, touch, taste & hearing) & their importance with Natkhat Bobo
There are five senses Sight (vision), hearing (audition), taste (gustation), smell (olfaction), and touch (somatosensation).
Hearing (Ears), also called audition is the sense which allow us to hear the sound & detect vibrations in the air particles around us
Sight, or vision, is the ability of the eyes to perceive images of visible light and see things
The sense of Smell, or olfaction, is closely related to the sense of taste, which allow us to Breath and smell with our Nose.
Taste, also known as gustation, is the ability to detect the flavor of anything which we eat through our tongue.
Touch - It is the sense which we feel whenever our body is touched somewhere.
She is a Mother, Sister, Teacher, Daughter, Wife, Grandmother, Mentor, Friend who stand beside us all the time, who has an eternal Strength of Humanity. She is a Women
किसी जंगल में एक लोमड़ी रहती थी जो बहुत ही धूर्त और चालाक थी। जंगल के छोटे मोटे जानवरों को वह अपनी मीठी बातों में फंसा कर उन पर शिकार करने का प्रयत्न करती। कभी-कभी तो उसकी चालाकी समझकर कुछ जानवर भाग निकलते और कभी कभी कुछ बेचारे उसका शिकार बनते।
एक दिन गधा कहीं से घूमता फिरता उस जंगल में पहुंचा। लोमड़ी ने सोचा कि कहीं ऐसा न हो यह गधा जंगल के छोटे मोटे जानवरों को मेरी चालाकियां समझा दे, तो हम कहीं के भी नहीं रहेंगे। अतः उसने सोचा कि क्यों न गधा से भी दोस्ती का हाथ बढ़ा कर फिर उस का शिकार कर दिया जाय। वह बहुत ही विनम्र भाव में बोली, कि भाई तुम्हारा नाम क्या है, और कहाँ से और किस प्रयोजन से यहाँ आना हुआ।
गधे ने अपना परिचय बता दिया। लोमड़ी ने कहा कि बड़ा अच्छा हुआ तुम आ गए अब हम तुम एक मित्र की भांति रहेंगे। गधा बिचारा सीधा सादा था उसे छल प्रपंच की बातें आती नहीं थी वह क्या समझता कि लोमड़ी के मन में क्या पक रहा है। एक दिन लोमड़ी कुछ उदास हो कर बैठी। गधे ने उसे चिन्तित देखा तो पूछा लोमड़ी बहन! तुम इतनी उदास क्यों हो। लोमड़ी ने और भी उदास मुद्रा बनाकर कहा क्या बताऊं भाई! मैंने एक पाप किया है उसी की याद करके मुझे पश्चाताप हो रहा है। लोमड़ी ने आंखों में आंसू भरकर कहा – कुछ दिन पहले मैं और मेरा लोमड़ सुख से रहते थे, एक दिन हम दोनों में एक बात को लेकर बड़ी जोर से झगड़ा हो गया। लोमड़ क्रोध में घर से बाहर निकल गया कुछ देर तो मैं घर में रही। मैंने सोचा कि क्रोध शांत होने पर लोमड़ घर लौट आएगा किंतु वह तो नहीं लौटा लेकिन शेर की दहाड़ सुनाई पड़ने लगी। मैं भाग कर गई कि कहीं शेर मेरे लोमड़ को मार न डाले। किंतु मेरे जाते जाते शेर मेरे लोमड़ का शिकार कर चुका था। मुझे भी घर जाने की इच्छा नहीं हुई तब से मैं यहीं पड़ी रहती हूं। इतना कहकर लोमड़ी रोने लगी। मैं यही सोचती हूं कि मैंने लड़ाई क्यों की। गधे ने उसकी बातों पर विश्वास कर लिया और बोला मत दुखी हो बहन ! गल्ती हो ही जाया करती है। तुमने जान बूझ कर तो कुछ किया नहीं | लोमड़ी ने कहा – भाई तुमने भी कोई पाप किया है कभी तो मुझे बताओ। गधे ने कहा – हां बहन ! एक बार मुझसे भी गल्ती हो गई थी। मैं भी एक धोबी का नौकर था। धोबी रोज कपड़ों की लादी मुझ पर लादता था। और घर से घाट और घाट से घर ले जाया करता था.| उसके एवज में मुझे घांस पानी मिलता था। एक दिन धोबी के लड़के ने मुझ पर लादी लाद दी और खुद भी बैठकर चला घात की ओर। उस दिन मेरी इच्छा चलने की नहीं हो रही थी। मैं अड़ गया। लड़के ने पुचकारा किंतु मई अड़ा रहा वह गुस्से में उतर कर मुझे मारने चला। मैंने वह पैर फटकारा कि उसकी लादी भी गिर गई। और उसे भी चोट आ गई और मैं वहां से चल दिया . मैं भी यही सोचता हूं कि मैंने वह गल्ती क्यों की। लोमड़ी ने गुस्से में भर के कहा नमकहराम जिसका खाता रहा उसी का काम करने में आनाकानी की तेरी शक्ल भी देखना पाप है। कह कर वह झपटने को हुई। पहले तो गधा यह न समझ पाया कि लोमड़ी क्यों एक दम बदल गई। वह रेंकता हुआ भागा लोमड़ी ने उसका पीछा किया। गधे का रेंकना सुनकर जंगल के और जानवर आए। जब लोमड़ी और उसको भागते देखा तो यह कहते हुए भागे कि अरे ! आज लोमड़ी ने अपने लोमड़ की मनगढ़ंत कहानी सुना कर गधे को अपना शिकार बना लिया। गधे का क्या हुआ यह तो याद नहीं है किंतु लोमड़ी पर से सभी जानवरों का विश्वास उठ गया। वह एक अकेली और निरीह सी घूमने लगी। कहानी समझने की है |
शिक्षा - झूठ बोलकर धोखा दिया जा सकता है किंतु यदि झूठ खुल गया तो उस पर से सब का विश्वास सदा के लिए उठ जाता है।
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